भले ही दिल्ली-एनसीआर समेत देश के तमाम शहरों में धूल और धुएं के प्रदूषण में पहले के सालों की तुलना में कमी देखी गई हो। लेकिन, साफ हवा वाले दिनों में भी घातक ओजोन के प्रदूषण में बढ़ोतरी देखी गई है। वाहनों का धुआं और तेज धूप को इसका कारण माना जाता है।
यूं तो पृथ्वी के वायु मंडल में मौजूद ओजोन की परत सूर्य से निकलने वाले हानिकारक किरणों से मानव स्वास्थ्य की रक्षा करती है। इसीलिए ओजन की परत में होने वाले छिद्र को लेकर तमाम चिंताएं जताई जाती रही हैं और ओजोन की परत को नुकसान पहुंचाने वाली गैसों की रोकथाम भी की गई है। लेकिन, ओजोन गैस के कण अगर पृथ्वी पर उस सतह पर मौजूद हों, जिसमें हम सांस लेते हैं तो यह मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती है।
चिंता की बात यह है कि हाल कुछ सालों में दिल्ली-एनसीआर व देश के अन्य मेट्रो शहरों में हवा में ओजोन की मौजूदगी लगातार बढ़ते हुए देखी गई है। यहां तक कि लॉकडाउन के समय जब तमाम किस्म के प्रदूषक कणों की मात्रा में खासी कमी आई थी और हवा साफ-सुथरी हो गई थी। उस समय भी कई शहरों की हवा में ओजोन की मात्रा चिंताजनक रही थी।
बाईस शहरों में रहा ओजोन का प्रदूषणः
विज्ञान एवं पर्यावरण केन्द्र (सीएसई) के शोध के मुताबिक लॉकडाउन के समय जब हवा में पीएम 2.5, पीएम 10 और नाइट्रोजन जैसे प्रदूषकों की मात्रा में काफी कमी देखी गई। उस समय भी देश के 22 शहरों की हवा में ओजोन की मौजूदगी देखी गई। दिल्ली और एनसीआर के शहर इसमें शामिल हैं। सीएसई की कार्यकारी निदेशक (शोध एवं परामर्श) अनुमिता रायचौधुरी बताती हैं कि लॉकडाउन के दौरान भी देश के 22 शहरों की हवा में ओजोन प्रदूषकों की मौजूदगी मिली। इससे यही पता लगता है कि ओजोन को पैदा करने वाले कारक उस समय भी वातावरण में मौजूद रहे। इसलिए ओजोन के प्रदूषक की रोकथाम के लिए समग्र नीति बनाने की जरूरत है।
क्या है ओजोन का प्रदूषण-
ओजोन का प्रदूषण खुद किसी स्रोत से पैदा नहीं होता है। यह सूरज की तेज किरणों और वाहनों-फैक्टरियों के धुएं में मौजूद रसायनों के साथ रिएक्शन से पैदा होता है। इसी के चलते इसे द्वितीयक प्रदूषक माना जाता है। यह सेहत के लिए बेहद घातक होता है। इसलिए इसे हर एक घंटे पर या आठ घंटे पर मापा जाता है। जबकि, पीएम 10, पीएम 2.5 जैसे प्रदूषकों का चौबीस घंटे का औसत लिया जाता है।
क्यों मनाया जाता है ओजोन दिवस-
दुनिया भर में 16 सितंबर को विश्व ओजोन दिवस के तौर पर मनाया जाता है। तमाम औद्योगिक गतिविधियों, फ्रिज और कूलर में इस्तेमाल होने वाली गैस आदि से एक समय में ओजोन की परत में छिद्र होने लगे थे। ओजोन की परत सूर्य की हानिकारक किरणों को धरती तक पहुंचने से रोकते हैं। ऐसे में इस परत के रहने के तमाम दुष्परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। इसी के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए यह दिवस मनाया जाता है।