कोरोना काल में पहली बार संसद का मानसून सत्र सोमवार से शुरू हो गया।
इतिहास में पहली बार लोकसभा और राज्यसभा अलग-अलग समय पर चलीं। कोरोना प्रोटोकॉल के तहत एंट्री से लेकर सदन की कार्यवाही तक प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सांसद, कर्मचारी और सिक्योरिटी कर्मी मास्क पहने दिखे। लोकसभा सचिवालय के मुताबिक, पहले दिन लोकसभा की कार्यवाही में 359 सदस्यों ने हिस्सा लिया।
दो गज की दूरी का पालन करने के लिए लोकसभा के सदस्यों की बैठने की व्यवस्था राज्यसभा में भी की गई। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने सांसदों को सीट पर बैठकर ही बोलने की इजाजत दी। लोकसभा में चर्चा के लिए 8 विधेयक रखे गए।
इसमें कोरोना संकट का सामना करने के लिए सांसदों के वेतन में एक साल के लिए 30 प्रतिशत कटौती करने के प्रावधान वाला बिल भी शामिल है। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इसे अच्छी पहल बताया। इसे लेकर सरकार ने अप्रैल में अध्यादेश पास किया था। पहले खबर थी कि 11 बिल पेश किए जा रहे हैं।
लोकसभा में सरकार ने बैंकिंग नियमन (संशोधन) विधेयक पेश किया। इसमें जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिए बेहतर प्रबंधन और समुचित नियमन के जरिए सहकारी बैंकों को बैकिंग क्षेत्र में हो रहे बदलावों के अनुरूप बनाने का प्रावधान किया गया है। कांग्रेस नेता शशि थरूर और तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय समेत कई विपक्षी सदस्यों ने विधेयक पेश करने का विरोध किया। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार राज्यों के अधिकारों का अतिक्रमण कर रही है।
वित्तमंत्री निर्मला पर तृणमूल सांसद की टिप्पणी से हंगामा
सदन में उस वक्त जमकर हंगामा हुआ, जब बैंकिंग नियमन संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान तृणमूल सांसद सौगत ने वित्त मंत्री सीतारमण पर व्यक्तिगत टिप्पणी की। कई सदस्यों ने उनकी इस टिप्पणी पर आपत्ति जताई। स्पीकर ने कहा कि इस टिप्पणी को कार्यवाही से निकाल दिया जाए। मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि रॉय को अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगनी चाहिए। वहीं तृणमूल सांसद ने कहा कि उन्हें नहीं लगता है कि उन्होंने कुछ भी असंसदीय कहा।
अब लोकसभा में भी होम्योपैथी और मेडिसिन विधेयक पास
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने राष्ट्रीय भारतीय आयुर्विज्ञान प्रणाली आयोग विधेयक-2019 और राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग विधेयक-2019 पेश किए, जिन्हें लोकसभा ने पास कर दिया। दोनों पिछले साल जनवरी में राज्यसभा में पारित हो चुके हैं। हर्षवर्धन ने कहा चिकित्सा पद्धति की प्रैक्टिस का लाइसेंस पाने के लिए आम प्रवेश परीक्षा, स्नातकों के लिए एक एक्जिट परीक्षा देने का प्रस्ताव इस बिल में है, जिससे पारदर्शिता और गुणवत्ता बढ़ेगी।