जोधपुर के एक ट्रांसपोर्टर की गाड़ी को रोककर रिश्वत मांगने और रिश्वत नहीं देने पर बिना किसी गलती के सीज कर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाना आगरा बाइपास के रनुकता पुलिस चौकी स्टाफ को भारी पड़ गया। मामले की शिकायत केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत को हुई तो उन्होंने वहां के डीजी पुलिस काे मामले की जांच कर तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। जांच के बाद दोषी पाए जाने पर पूरे चौकी स्टाफ को एक साथ निलंबित कर दिया गया।
जोधपुर के राजवीर ट्रांसपोर्ट कंपनी की एक गाड़ी मध्यप्रदेश से वाया आगरा जोधपुर आ रही थी। गाड़ी को आगरा बाइपास पर रनुकता पुलिस चौकी थाना सिकंदरा आगरा पर रोका गया और गाड़ी को रवाना करने की एवज में 1000 रुपए की रिश्वत मांगी गई।
ट्रांसपोर्ट के मालिक का आरोप था कि एक हजार रुपए नहीं देने पर वाहन को पुलिस चौकी ले जाकर बिना गलती व पूरे दस्तावेज होने के बाद भी न केवल सीज कर लिया गया, बल्कि चालक मुंशी मांगीलाल चौधरी के साथ मारपीट भी की गई। चालक के पास आरसी, इंश्योरेंस, फिटनेस व पीयूसी आदि दस्तावेज मौजूद थे, फिर भी चालान कर दिया।
कंपनी के मालिक राजेंद्र चौधरी को जानकारी मिली तो उन्होंने केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्रसिंह शेखावत को फोन कर शिकायत की। शेखावत ने उत्तरप्रदेश डीजी हरीश सी अवस्थी को फोन कर मामले में हस्तक्षेप कर जांच करने तथा दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए। एडीजी जोन अजय आनंद ने एक प्रशिक्षु आईपीएस को जांच सौंपी।
चालक मांगीलाल व चालक जितेंद्र का कहना था कि वे 9 सितंबर को मेटाडोर में माल लेकर भोपाल से आगरा होते जोधपुर जा रहे थे। गाड़ी में 15 ड्रम ऑयल था, जिसका बिल भी उनके पास था। उनका आरोप है कि सुबह करीब नौ बजे रनुकता क्षेत्र में पुलिसकर्मियों ने मेटाडोर को रोका और एक हजार रुपए मांगे।
रुपए नहीं देने पर मुंशी और चालक को चौकी ले गए। थोड़ी देर में चालक जितेंद्र को तो छोड़ दिया, लेकिन चौकी में मौजूद पुलिसकर्मियों ने मुंशी मांगीलाल के साथ मारपीट की तथा दस्तावेज की कमी बताकर 25 हजार का चालान काट दिया। एसएसपी बबलू कुमार ने कार्रवाई करते हुए थाना सिकंदरा की रनुकता चौकी के प्रभारी अरुण कुमार, हैड कांस्टेबल अखिलेश, सिपाही धर्मेंद्र, सुशील व अनिल को निलंबित कर दिया।