कोरोना के बीच करीब साढ़े पांच महीने बाद सोमवार सुबह से मेट्रो एक बार फिर पटरी पर दौड़ी। कोरोना से पहले दिल्ली, नोएडा और लखनऊ मेट्रो फुल रहती थीं, लेकिन आज तीनों जगह खाली नजर आईं। गिनती के यात्री बैठे थे, वह भी दूर-दूर। कई कोच में तो एक सीट पर एक ही यात्री बैठा हुआ था। कोरोना के बीच मेट्रो के पहले दिन के सफर पर ग्राउंड रिपोर्ट पढ़िए…
लखनऊ: बिना यात्रियों के ही रवाना हुई पहली ट्रेन
कोरोना की शुरुआत के साथ ही 21 मार्च को लखनऊ में मेट्रो बंद कर दी गई थी। 171 दिन बाद सोमवार को जब पहली मेट्रो मुंशी पुलिया से एयरपोर्ट तक चली तो हजरतगंज स्टेशन तक ट्रेन में एक भी यात्री नहीं था। लेकिन, समय बीतने के साथ यात्री आने लगे। ज्यादातर महिलाएं सफर कर रही थीं। उनका कहना था कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट में मेट्रो ज्यादा सुरक्षित है।
दूसरी खास बात यह दिखी कि मेट्रो स्टेशन गेट की एंट्री से लेकर सफर तक में कोरोना का असर नजर आया। जहां पहले गेट और गैलरी में फिल्मों के पोस्टर और एड लगे रहते थे। वहीं, अब कोरोना से बचाव के पोस्टर लगे हैं। एंट्री पर यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग, आरोग्य सेतु और मास्क की जांच के बाद ही एंट्री दी गई। टोकन को भी अल्ट्रावायलेट (यूवी) तकनीक से सैनिटाइज किया जा रहा है। काउंटर पर बैठे एक कर्मचारी ने बताया कि लखनऊ मेट्रो देश की पहली मेट्रो है जहां पर टोकन को यूवी तकनीक से सैनिटाइज किया जा रहा है।
हजरतगंज मेट्रो स्टेशन पर टोकन और कार्ड के लिए ऑटोमैटिक मशीन चालू थी। उसके पास खड़ी महिला कर्मचारी यात्रियों को टोकन लेने के बारे में बता रही थी। स्टेशन पर पहुंचने पर गार्ड ने थर्मल स्क्रीनिंग कर टेम्परेचर चेक किया। गार्ड ने अपने पास मास्क का बंडल भी रखा था। पूछा गया तो कहने लगा कि यह मास्क मेट्रो कार्ड खरीदने पर फ्री है। अगर किसी यात्री के पास मास्क नहीं हैं तो उसे भी दिया जाएगा।