ज़िन्दगी यूँ कट रही बस तेरे ही इंतजार मे,
जज़्बात मेरे बहक रहे हंसीन इस बयार मे
फिर कभी आयी न तू सपनों के बाजार मे,
जान मेरी होकर भी न थी जान मेरे जान मे,
खुशबू सी महक रही जज़्बाते अहसास मे,
कांटे भी यूँ गुलज़ार हुए गुलशने बहार मे,
ज़िन्दगी बस कट रही यूँ ही तेरे इंतजार मे.
सौरभ “जयंत”
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