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रेशम के बदन को नहलाकर मैं आग से बातें कर लूँगा,
तुम अपनी हथेली मत खुरचो, दकदीर बनाकर देखेंगे.
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जल्दी न उठूं तो क्या होगा
जल्दी न उठूं तो क्या होगा, चिलमन को गिराकर देखेंगे.
पानी की फुहारें पड़ने दे, बिस्तर को हटाकर देखेंगे.
तुम आज यहीं पर रुक जाओ, बाहर भी मताये-शौक़ नहीं,
निकलोगे रिदा के साथ तो वो, चादर को हटाकर देखेंगे.
ख़ुशखत के तखातुब में बादल लिखदें कि तुझे आना होगा,
अय कोहे-गराँ गर तू कह दे हम पंख लगाकर देखेंगे.
कल तक तो घटाएँ घेरे थीं और चाँद नज़र आ जाता था,
पर, आज है बारिश का मौसम जुगनू को उड़ाकर देखेंगे.
रेशम के बदन को नहलाकर मैं आग से बातें कर लूँगा,
तुम अपनी हथेली मत खुरचो, दकदीर बनाकर देखेंगे.
है वस्लकी ख्वाहिश मिटटीसे तहज़ीब-अदबकी बातन कर,
चमकेगा सितारा क़िस्मत का तब मांग सजाकर देखेंगे.
रंजन जैदी
9350934635