आज एक अत्यंत मधुर गीत जिसमें एक मोरनी की व्यथा है और विंध्य मैय्या की कृपा से वह उस विपदा से निकलती है और मैय्या का धन्यवाद करती है।
ये गीत एक कथा के रूप में आगे बढ़ता है जिसमें आनंद वन के आनंद मठ में एक मोरनी अंडे देती है और उसी समय दुर्योधन का लश्कर वहाँ से निकलने वाला होता है।
तब उदास मोरनी को देखकर विंध्याचल मैय्या पूछतीं हैं कि हे मोरनी तू क्यों उदास है ,क्या तेरे पास अन्न धन की कमी है या तेरे पति परदेस में हैं।
तब मोरनी अपनी उदासी का कारण बताती है कि मैय्या मुझे कोई कमी नहीं पर मेरे अंडे दुर्योधन के लश्कर में दबकर फूट जाएंगे ,अगर मेरे बच्चे होते तो उन्हें लेकर मैं उड़ जाती ,पर ये अंडे लेकर मैं कहाँ जाऊँ।
इसपर माता उसके अंडों से बच्चे निकाल देती हैं और वह मोरनी खुशी खुशी अपने बच्चों के साथ मठ से निकलती है और माता का आभार प्रकट करती है कि जैसा आपने मेरा कल्याण किया वैसे सबका कल्याण करना।
माता की आराधना का यह गीत लाचारी कहा जाता है। लाचारी से तात्पर्य ,इन गीतों में भक्त की लाचारी दिखती है ।याचना दिखती है कि हे माँ आकर मेरी रक्षा करो ।इन गीतों के अंत मे माँ के प्रति आभार और धन्यवाद होता है।
उत्तर भारत के कानपुर शहर के आस पास बोली जाने वाली भाषा का यह गीत, देवी मैय्या और उनकी भक्त रूपी मोरनी एक अत्यंत मधुर संवाद को प्रकट करता है।हर वाक्य में नए पन की कसावट के साथ इस गीत की लय इसे अत्यंत कर्णप्रिय बनाती है। भाषा में अनेक अपभृंश हैं जैसा सुनती आयी हूँ वैसे ही प्रस्तुत कर रही हूँ।
बोले अनंद बन मोर हो
जग तारणी माया
बोले अनंद घन नार हो
जग तारणी माया
जब ये मोरनी मठ में आयी
मैय्या जी पूँछें बात हो
जग तारणी माया
बोले अनंद बन मोर हो
जग तारणी माया
बोले अनंद घन नार हो
जग तारणी माया
को रे मोरनी अन धन थोरा
कि तोरे पिया परदेस हो
जग तारणी माया
बोले अनंद बन मोर हो
जग तारणी माया
बोले अनंद घन नार हो
जग तारणी माया
ना हिं बिंध्या मैय्या अन धन थोरा
ना मोरे पिया परदेस हो
जग तारणी माया
बोले अनंद बन मोर हो
जग तारणी माया
बोले अनंद घन नार हो
जग तारणी माया
दुर्योधन का लसकर निकला
अंडा दबै दब जायें हो
जग तारणी माया
बोले अनंद बन मोर हो
जग तारणी माया
बोले अनंद घन नार हो
जग तारणी माया
बच्चा जो होते तो
लै उड़ जाती
अण्डा कहाँ लैके जाऊँ हो
जग तारणी माया
बोले अनंद बन मोर हो
जग तारणी माया
बोले अनंद घन नार हो
जग तारणी माया
जब ये मोरनी मठ से निकली
बच्चा करैं किलकोर हो
जग तारणी माया
बोले अनंद बन मोर हो
जग तारणी माया
बोले अनंद घन नार हो
जग तारणी माया
जय जय बिंध्या मैय्या मोरनीबाजो
ऐसे निबाजो सब कोय हो
जग तारणी माया
बोले अनंद बन मोर हो
जग तारणी माया
?बोलो विंध्या चल मैय्या की जय?
तृप्ति मिश्र