“सुकून के पल” ( कविता)
कोलाहल से भरे जीवन मे,
सुकून के पल,
पीपल की छाँव,
दे दो तो फूल महक उठे मन मे !
भौरों की गुंजन,
पत्तों की रूनझुन,
रवि की पहली किरण,
दे दो तो बन जाये,
एक अनजाना गान !
लहरों की कल कल,
वो चिड़ियों की तान,
सुनहरी शाम,
दे दो तो बन जाये,
अनोखा नाम,!
वो बाजरे की रोटी पर,
वो आम का आचार,
मिट्टी की सौंधी गन्ध,
उस पर हवा का मनुहार,
चुपके से आँखों का ढाँपना ,
दे दो तो बीते ये शाम ,
इन्दु सिन्हा रतलाम
मध्य प्रदेश