प्यार की कीमत तो चुकानी पड़ेगी,
तकलीफ थोड़ी तो उठानी पड़ेगी!
बहुत तो खुश रहे हम दोनों साथ,
अब गमजद़ा जिन्दगी बितानी पड़ेगी!
कब तक चलता रहेगा ऐसे ही सब,
वजह कुछ तो हमको बतानी पड़ेगी!
खत्म कर दिया जाये ये रिश्ता अब,
बात घरवालों से सब छिपानी पड़ेगी!
मजा आया था दिल लगी में जितना,
दूरी उतनी ही अब हमें बनानी पड़ेगी!
कहाँ तक सफल रहा रिश्ता हमारा,
किताब यादों की फिर से उठानी पड़ेगी!
ललित सिंह (रायबरेली)