स्नेह का सागर अनन्तिम
प्रेम हो सौहार्द्य हो
कातर धरा पर गूँजता सा
तुम मनोहर काव्य हो
दान कर हमें ज्ञान की
तू सम्पदा
धीरज धरें आगे बढ़ें
हे मात देवी शारदा
मन में अटल विश्वास हो
हर पल नया उच्छ्वास हो
विपदा से चाहे हम घिरें हों
आप हरदम पास हों
किस तरह व्यापेगी
हम पर कोई आपदा
दान कर हमें ज्ञान की
तू सम्पदा
धीरज धरें आगे बढ़ें
हे मात देवी शारदा
सुन हे मुक्तिदायिनी!
हे मात वीणावादिनी
हंस सा निर्मल हृदय
आकारदे हंस वाहिनी
हम पर दिखा अपनी कृपा
तू सर्वदा
दान कर हमें ज्ञान की
तू सम्पदा
धीरज धरें आगे बढ़ें
हे मात देवी शारदा
मान का सम्मान का
चर-अचर संधान का
ज्ञान दे हे मात हमको
अति जटिल विज्ञान का
तेरी शरण में हम पड़े
हे ज्ञानदा, हे ज्ञानदा
दान कर हमें ज्ञान की
तू सम्पदा
धीरज धरें आगे बढ़ें
हे मात देवी शारदा
सुधेन्दु ओझा
7701960982/9868108713