ऊंची ऊंची उड़ाने भरें हम यहाँ।
नफरतों का मिटा दें हम नामोनिशाँ॥
बस करें खात्मा दुश्मनों का यहाँ।
चलें हम तो सदा ले हथेली पे जाँ॥
ये लहू हमारा अब जहाँ भी गिरे।
वहीं से देशभक्ति की धारा बहे॥
जाँ देकर बसाएं प्यार का आशियाँ ।
नफरतों का मिटा दें हम नामोनिशाँ॥
ऊँची ऊँची उड़ाने भरें हम यहाँ।
नफरतों का मिटा दें हम नामोनिशाँ॥
आ गया जो कभी शिकारी बाज़ तो
उठाएंगे हम भी उसके नाज़ को।
हवाओं में यूं ही मार दें बाज को।
वो छू न सके जो किसी राज को॥
जीतकर जहां में अमन की बाज़ियाँ ।
नफरतों का मिटा दें हम नामोनिशाँ॥
ऊँची ऊँची उड़ाने भरें जब यहाँ।
नफरतों का मिटा दें हम नामोनिशाँ॥
सीने में हमारे सुलगी आग है।
अमन का निगाहों में बस ख्वाब है॥
आसमाँ पर लिखें हम अब ये दास्तां।
सलामत रहे अपना हिंदुस्ताँ॥
सज़दे में झुक जाए ये पूरा जहाँ।
नफरतों का मिटा दें हम नामोनिशाँ॥
ऊँची ऊँची उड़ाने भरें हम यहाँ।
नफरतों का मिटा दें हम नामोनिशाँ॥
दीपिका माहेश्वरी