भोर उगने से पहले
कोयल
द्वार पर
साँकल बजाये
आम का एकाकी पेड़
बतियाने लगे
.. अपनी ही देह से
देने लगे
मंजरियों के पुष्प-गुच्छ
बिना मोल
सरसों के फूलों की
पीली ओढ़नी ओढ़कर
अलसी की पैजनी पहन
टेसू के फूलों से
अपनी माँग भरकर
नवयौवना प्रकृतिप्रिया
अपने प्रियतम से मिलने लगे
तो समझो, वसंत है।
डा. रामशंकर भारती
ए-128/1,दीनदयाल नगर, झाँसी-284003
मो-8004404710, व्हाट्सप-9696520940