उनका आना, प्यार का मौसम लगे
यूँ पुकारें वो कि, इक सरगम लगे!
छू दिया है यूँ, मेरे जज़्बात को
फूल पे मोती सी,ज्यों शबनम लगे!
मेरा बच्चा, शायद बालिग़ हो चला
उसकी पेशानी पे, देखो ख़म लगे!
देने को दे दीं, ख़ुदा ने नेमतें
लेने वालों को मगर,ये कम लगे!
इस तिलिस्मी रात में, यादें तेरी
घुंघरुओं की सी, मुझे छमछम लगे!
अंजना चड्ढा (जयपुर)