संपर्क भाषा भारती वेब-पोर्टल को मध्य प्रदेश से प्रतिनिधियों की आवश्यकता है…
मध्य प्रदेश
राजधानी भोपाल
सबसे बड़ा शहर इन्दौर
जनसंख्या 7,26,26,809
- घनत्व 236 /किमी²
क्षेत्रफल 3,08,252 किमी² - ज़िले 52
राजभाषा हिन्दी,सिंधी [1]
गठन 1 नवम्बर 1956
सरकार मध्य प्रदेश सरकार - राज्यपाल लाल जी टंडन
- मुख्यमंत्री कमल नाथ
(कांग्रेस) - विधानमण्डल एकसदनीय
विधान सभा (231 सीटें) - भारतीय संसद राज्य सभा (11 सीटें)
लोक सभा (29 सीटें) - उच्च न्यायालय मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय, जबलपुर एवं खंडपीठ इंदौर और ग्वालियर
डाक सूचक संख्या 45 से 48
वाहन अक्षर MP
आइएसओ 3166-2 IN-MP
सरकारी वेबसाइट
मध्य प्रदेश भारत का एक राज्य है, इसकी राजधानी भोपाल है। मध्य प्रदेश 1 नवंबर, 2000 तक क्षेत्रफल के आधार पर भारत का सबसे बड़ा राज्य था। इस दिन मध्यप्रदेश राज्य से 14 जिले अलग कर छत्तीसगढ़ राज्य छत्तीसगढ़ की स्थापना हुई थी। मध्य प्रदेश की सीमाऐं पांच राज्यों की सीमाओं से मिलती है। इसके उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में छत्तीसगढ़, दक्षिण में महाराष्ट्र, पश्चिम में गुजरात, तथा उत्तर-पश्चिम में राजस्थान है।
हाल के वर्षों में राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर राष्ट्रीय औसत से ऊपर रही है।
खनिज संसाधनों से समृद्ध, मध्य प्रदेश हीरे और तांबे का सबसे बड़ा भंडार है। अपने क्षेत्र की 30% से अधिक वन क्षेत्र के अधीन है। इसके पर्यटन उद्योग में काफी वृद्धि हुई है। राज्य ने वर्ष 2010-11 के लिये राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार जीता था।
मध्यप्रदेश मुख्य रूप से अपने पर्यटन के लिए भी जाना जाता है। भीमबैठका, पंचवटी, खजुराहो, साँची स्तूप, ग्वालियर का किला, और उज्जैन मध्यप्रदेश के पर्यटन स्थल के प्रमुख उदाहरण हैं। उज्जैन जिले में प्रत्येक 12 वर्षो में कुंभ (सिंहस्थ) मेले का पुण्य पर्व विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है।
इतिहास
मुख्य लेख: मध्य प्रदेश का इतिहास
स्वत्रंता पूर्व मध्य प्रदेश क्षेत्र अपने वर्तमान स्वरूप से काफी अलग था। तब यह 3-4 हिस्सों में बटा हुआ था। 1950 में सर्वप्रथम मध्य प्रांत और बरार को छत्तीसगढ़ और मकराइ रियासतों के साथ मिलकर मध्य प्रदेश का गठन किया गया था। तब इसकी राजधानी नागपुर में थी। इसके बाद 1 नवंबर 1956 को मध्य भारत, विंध्य प्रदेश तथा भोपाल राज्यों को भी इसमें ही मिला दिया गया, जबकि दक्षिण के मराठी भाषी विदर्भ क्षेत्र को (राजधानी नागपुर समेत) बॉम्बे राज्य में स्थानांतरित कर दिया गया। पहले जबलपुर को राज्य की राजधानी के रूप में चिन्हित किया जा रहा था, परन्तु अंतिम क्षणों में इस निर्णय को पलटकर भोपाल को राज्य की नवीन राजधानी घोषित कर दिया गया। जो कि सीहोर जिले की एक तहसील हुआ करता था। 1 नवंबर 2000 को एक बार फिर मध्य प्रदेश का पुनर्गठन हुआ, और छ्त्तीसगढ़ मध्य प्रदेश से अलग होकर भारत का 26वां राज्य बन गया।
विवरण
भारत की संस्कृति में मध्यप्रदेश जगमगाते दीपक के समान है, जिसकी रोशनी की सर्वथा अलग प्रभा और प्रभाव है। यह विभिन्न संस्कृतियों की अनेकता में एकता का जैसे आकर्षक गुलदस्ता है, मध्यप्रदेश, जिसे प्रकृति ने राष्ट्र की वेदी पर जैसे अपने हाथों से सजाकर रख दिया है, जिसका सतरंगी सौन्दर्य और मनमोहक सुगन्ध चारों ओर फैल रहे हैं। यहाँ के जनपदों की आबोहवा में कला, साहित्य और संस्कृति की मधुमयी सुवास तैरती रहती है। यहाँ के लोक समूहों और जनजाति समूहों में प्रतिदिन नृत्य, संगीत, गीत की रसधारा सहज रूप से फूटती रहती है। यहाँ का हर दिन पर्व की तरह आता है और जीवन में आनन्द रस घोलकर स्मृति के रूप में चला जाता है। इस प्रदेश के तुंग-उतुंग शैल शिखर विन्ध्य-सतपुड़ा, मैकल-कैमूर की उपत्यिकाओं के अन्तर से गूँजते अनेक पौराणिक आख्यान और नर्मदा, सोन, सिन्ध, चम्बल, बेतवा, केन, धसान, तवा, ताप्ती, शिप्रा, काली सिंध आदि सर-सरिताओं के उद्गम और मिलन की मिथकथाओं से फूटती सहस्त्र धाराएँ यहाँ के जीवन को आप्लावित ही नहीं करतीं, बल्कि परितृप्त भी करती हैं।
संस्कृति संगम
मध्य प्रदेश के ज़िले
मध्यप्रदेश में छह लोक संस्कृतियों का समावेशी संसार है। ये छह साँस्कृतिक क्षेत्र है-
निमाड़
मालवा
बुन्देलखण्ड
बघेलखण्ड
महाकोशल
ग्वालियर (चंबल)
प्रत्येक सांस्कृतिक क्षेत्र या भू-भाग का एक अलग जीवंत लोकजीवन, साहित्य, संस्कृति, इतिहास, कला, बोली और परिवेश है। मध्यप्रदेश लोक-संस्कृति के मर्मज्ञ विद्वान श्री वसन्त निरगुणे लिखते हैं- “संस्कृति किसी एक अकेले का दाय नहीं होती, उसमें पूरे समूह का सक्रिय सामूहिक दायित्व होता है। सांस्कृतिक अंचल (या क्षेत्र) की इयत्त्ता इसी भाव भूमि पर खड़ी होती है। जीवन शैली, कला, साहित्य और वाचिक परम्परा मिलकर किसी अंचल की सांस्कृतिक पहचान बनाती है।”
मध्यप्रदेश की संस्कृति विविधवर्णी है। गुजरात, महाराष्ट्र अथवा उड़ीसा की तरह इस प्रदेश को किसी भाषाई संस्कृति में नहीं पहचाना जाता। मध्यप्रदेश विभिन्न लोक और जनजातीय संस्कृतियों का समागम है। यहाँ कोई एक लोक संस्कृति नहीं है। यहाँ एक तरफ़ पाँच लोक संस्कृतियों का समावेशी संसार है, तो दूसरी ओर अनेक जनजातियों की आदिम संस्कृति का विस्तृत फलक पसरा है।
निष्कर्षत: मध्यप्रदेश छह सांस्कृतिक क्षेत्र निमाड़, मालवा, बुन्देलखण्ड, बघेलखण्ड, महाकौशल और ग्वालियर हैं। धार-झाबुआ, मंडला-बालाघाट, छिन्दवाड़ा, होशंगाबाद्, खण्डवा-बुरहानपुर, बैतूल, रीवा-सीधी, शहडोल आदि जनजातीय क्षेत्रों में विभक्त है।
निमाड़
मुख्य लेख: निमाड़
निमाड़ मध्यप्रदेश के पश्चिमी अंचल में स्थित है। अगर इसके भौगोलिक सीमाओं पर एक दृष्टि डालें तो यह पता चला है कि निमाड़ के एक ओर विन्ध्य की उतुंग शैल श्रृंखला और दूसरी तरफ़ सतपुड़ा की सात उपत्यिकाएँ हैं, जबकि मध्य में है नर्मदा की अजस्त्र जलधारा। पौराणिक काल में निमाड़ अनूप जनपद कहलाता था। बाद में इसे निमाड़ की संज्ञा दी गयी। फिर इसे पूर्वी और पश्चिमी निमाड़ के रूप में जाना जाने लगा।
मालवा
मुख्य लेख: मालवा
मालवा महाकवि कालिदास की धरती है। यहाँ की धरती हरी-भरी, धन-धान्य से भरपूर रही है। यहाँ के लोगों ने कभी भी अकाल को नहीं देखा। विन्ध्याचल के पठार पर प्रसरित मालवा की भूमि सस्य, श्यामल, सुन्दर और उर्वर तो है ही, यहाँ की धरती पश्चिम भारत की सबसे अधिक स्वर्णमयी और गौरवमयी भूमि रही है।
बुंदेलखंड
मुख्य लेख: बुंदेलखंड
एक प्रचलित अवधारणा के अनुसार “वह क्षेत्र जो उत्तर में यमुना, दक्षिण में विंध्य प्लेटों की श्रेणियों, उत्तर-पश्चिम में चंबल और दक्षिण पूर्व में पन्ना, अजमगढ़ श्रेणियों से घिरा हुआ है, बुंदेलखंड के नाम से जाना जाता है। इसमें उत्तर प्रदेश के चार जिले- जालौन, झाँसी, हमीरपुर और बाँदा तथा मध्यप्रेदश के पांच जिले- सागर, दतिया, टीकमगढ़, छतरपुर और पन्ना के अलावा उत्तर-पश्चिम में चंबल नदी तक प्रसरित विस्तृत प्रदेश का नाम था।” कनिंघम ने “बुंदेलखंड के अधिकतम विस्तार के समय इसमें गंगा और यमुना का समस्त दक्षिणी प्रदेश जो पश्चिम में बेतवा नदी से पूर्व में चन्देरी और सागर के अशोक नगर जिलों सहित तुमैन का विंध्यवासिनी देवी के मन्दिर तक तथा दक्षिण में नर्मदा नदी के मुहाने के निकट बिल्हारी तक प्रसरित था”, माना है।
बघेलखण्ड
मुख्य लेख: बघेलखण्ड
बघेलखण्ड की धरती का सम्बन्ध अति प्राचीन भारतीय संस्कृति से रहा है। यह भू-भाग रामायणकाल में कोसल प्रान्त के अन्तर्गत था। महाभारत के काल में विराटनगर बघेलखण्ड की भूमि पर था, जो आजकल सोहागपुर के नाम से जाना जाता है। भगवान राम की वनगमन यात्रा इसी क्षेत्र से हुई थी। यहाँ के लोगों में शिव, शाक्त और वैष्णव सम्प्रदाय की परम्परा विद्यमान है। यहाँ नाथपंथी योगियो का खासा प्रभाव है। कबीर पंथ का प्रभाव भी सर्वाधिक है। महात्मा कबीरदास के अनुयायी धर्मदास बाँदवगढ़ के निवासी थी।
महाकोशल
जबलपुर संभाग का संपूर्ण हिस्सा महाकोशल कहलाता है। नर्मदा नदी किनारे बसा यह क्षेत्र सांस्कृतिक और प्राकृतिक समृद्धता में धनी है।
ग्वालियर
ग्वालियर किले का ग्वालियर-गेट नामक द्वार — किले के अंदर से लिया गया चित्र
मुख्य लेख: ग्वालियर
मध्यप्रदेश का चंबल क्षेत्र भारत का वह मध्य भाग है, जहाँ भारतीय इतिहास की अनेक महत्वपूर्ण गतिविधियां घटित हुई हैं। इस क्षेत्र का सांस्कृतिक-आर्थिक केंद्र ग्वालियर शहर है। सांस्कृतिक रूप से भी यहाँ अनेक संस्कृतियों का आवागमन और संगम हुआ है। राजनीतिक घटनाओं का भी यह क्षेत्र हर समय केन्द्र रहा है। स्वतंत्रता से पहले यहां सिंधिया राजपरिवार का शासन रहा था। 1857 का पहला स्वतंत्रता संग्राम झाँसी की वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई ने इसी भूमि पर लड़ा था। सांस्कृतिक गतिविधियों का केन्द्र ग्वालियर अंचल संगीत, नृत्य, मूर्तिकला, चित्रकला अथवा लोकचित्र कला हो या फिर साहित्य, लोक साहित्य की कोई विधा हो, ग्वालियर अंचल में एक विशिष्ट संस्कृति के साथ नवजीवन पाती रही है। ग्वालियर क्षेत्र की यही सांस्कृतिक हलचल उसकी पहचान और प्रतिष्ठा बनाने में सक्षम रही है।
भूगोल
भारत में अवस्थिति
जैसा की नाम से ही प्रतीत होता हैं यह भारत के बीचो-बीच, अक्षांश 21°6′ उत्तरीअक्षांश से 26°30′ उत्तरीअक्षांश देशांतर 74°9′ पूर्वीदेशांतर से 82°48′ पूर्वीदेशांतर में स्थित हैं। राज्य, नर्मदा नदी के चारो और फैला हुआ है, जोकी विंध्य और सतपुड़ा पर्वतमाला के बीच पूरब से पश्चिम की और बहती हैं, जोकि उत्तर और दक्षिण भारत के बीच पारंपरिक सीमा का काम करती हैं।
राज्य, दक्षिण में महाराष्ट्र से, पश्चिम में गुजरात से घिरा हुआ है, जबकि इसके उत्तर-पश्चिम में राजस्थान, पूर्वोत्तर पर उत्तर प्रदेश और पूर्व में छत्तीसगढ़ स्थित हैं।
मध्य प्रदेश में सबसे ऊँची चोटी, धूपगढ़ की है जिसकी ऊंचाई 1,350 मीटर (4,429 फुट) हैं।[2]
राज्य, पश्चिम में गुजरात से, उत्तर-पश्चिम में राजस्थान से, उत्तर में उत्तर प्रदेश, पूर्व में छत्तीसगढ़ और दक्षिण में महाराष्ट्र से घिरा हुआ हैं।
राजस्थान राजस्थान - उत्तर प्रदेश उत्तर प्रदेश
गुजरात North छत्तीसगढ़
West मध्य प्रदेश East
South
महाराष्ट्र महाराष्ट्र छत्तीसगढ़
जलवायु
मध्य प्रदेश में उपोष्णकटिबंधीय जलवायु है। अधिकांश उत्तर भारत की तरह, यहाँ ग्रीष्म ऋतू (अप्रैल-जून), के बाद मानसून की वर्षा (जुलाई-सितंबर) और फिर अपेक्षाकृत शुष्क शरदऋतु आती है। यहाँ औसत वर्षा 1371 मिमी (54.0 इंच) होती है। इसके दक्षिण-पूर्वी जिलों में भारी वर्षा होती है, कुछ स्थानों में तो 2,150 मिमी (84.6 इंच) तक बारिश होती हैं, पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी जिलों में 1,000 मिमी (39.4 में) या कम बारिश होती हैं।
पर्यावरण
2011 के आंकड़ों के अनुसार, राज्य में दर्ज वनक्षेत्र 94,689 km2 (36,560 वर्ग मील) हैं जोकि राज्य के कुल क्षेत्र का 30.72% हैं, और भारत में स्थित कुल वनक्षेत्र का 12.30% है। मध्य प्रदेश सरकार ने इन क्षेत्र को “आरक्षित वन” (65.3%), “संरक्षित वन” (32.84%) और “उपलब्ध वन” (0.18%) में वर्गीकृत किया गया है। वन राज्य के उत्तरी और पश्चिमी भागों में कम घना है, जहां राज्य के प्रमुख शहर हैं,
राज्य में पाये जाने वाले मिट्टी के प्रमुख प्रकार हैं:
काली मिट्टी, सबसे मुख्य रूप से मालवा क्षेत्र, महाकौशल में और दक्षिणी बुंदेलखंड में
लाल और पीली मिट्टी, बघेलखण्ड क्षेत्र में
जलोढ़ मिट्टी, उत्तरी मध्य प्रदेश में
लैटराइट मिट्टी, हाइलैंड क्षेत्रों में
मिश्रित मिट्टी, ग्वालियर और चंबल संभाग के कुछ हिस्सों में
वनस्पति और जीव
चूँकि प्रदेश में सबसे अधिक वनक्षेत्र हैं, इसीलिए यहाँ बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, कान्हा राष्ट्रीय उद्यान, सतपुड़ा राष्ट्रीय अभ्यारण्य, संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान, माधव राष्ट्रीय उद्यान, वन विहार राष्ट्रीय उद्यान, जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान, पन्ना राष्ट्रीय उद्यान, और पेंच राष्ट्रीय उद्यान सहित 09 राष्ट्रीय उद्यान एवं विश्व का प्रथम वाइट टाइगर सफारी और ज़ू मुकुंदपुर सतना में है तथा इसके अलावा यह कई प्राकृतिक संरक्षण उपस्थित हैं जिनमे अमरकंटक, बाग गुफाएं, बालाघाट, बोरी प्राकृतिक रिजर्व, केन घड़ियाल, घाटीगाँव , कुनो पालपुर, नरवर, चंबल, कुकड़ेश्वर, नरसिंहगढ़, नोरा देही, पचमढ़ी, पनपथा, शिकारगंज, पातालकोट और तामिया सम्मलित हैं सतपुड़ा रेंज में पचमढ़ी बायोस्फीयर रिजर्व, अमरकंटक बायोस्फियर रिजर्व और पन्ना राष्ट्रीय उद्यान भारत में उपस्थित 18 बायोस्फीयर में से तीन हैं।
कान्हा, बांधवगढ़, पेंच, पन्ना, और सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान बाघ परियोजना क्षेत्रों के रूप में काम करते हैं। राष्ट्रीय चंबल अभयारण्य को, घड़ियाल और मगर, नदी डॉल्फिन, ऊदबिलाव और कई प्रकार के कछुओ के संरक्षण के लिए जाना जाता है।
राज्य के जंगलों में सागौन और साल के पेड़ बहुतायत में पाये जाते हैं।
नदियां
नर्मदा नदी मध्य प्रदेश की सबसे प्रमुख और लंबी (1312 कि.मी.[3]) नदी हैं। यह दरार घाटी के माध्यम से पश्चिम की ओर बहती हैं, इसके उत्तरी किनारे में विंध्य के विशाल पर्वतमाला , जबकि दक्षिण में सतपुड़ा के पहाड़ों की रेंज हैंं। इसकी सहायक नदियों में बंजार, तवा, मचना, शक्कर, देनवा और सोनभद्र नदियां आदि शामिल हैंं।ताप्ती नदी भी नर्मदा के समानांतर, दरार घाटी के माध्यम से बहती हैं। नर्मदा-ताप्ती सिस्टम, राज्य की प्रमुख नदियों में से हैंं और मध्य प्रदेश की लगभग एक चौथाई भूमि क्षेत्र को जल प्रदान करती हैंं।
बाकी की नदियां चंबल, शिप्रा, कालीसिंध, पार्वती, कुनो, सिंध, बेतवा, धसान और केन, जोकि पुर्व की और बहती हैंं, यमुना नदी में जाके मिलती हैंं क्षिप्रा नदी जिसके किनारे प्राचीन शहर उज्जैन बसा हुआ हैंं हिंदू धर्म के सबसे पवित्र नदियों में से एक हैं। यहाँ हर 12 साल में सिंहस्थ कुंभ मेला आयोजित किया जाता हैं। इन नदियों द्वारा बहा के लाई गई भूमि कृषि समृद्ध होती हैंं। गंगा बेसिन के पूर्वी भाग में सोन, टोंस ,बीहर(मध्यप्रदेश का सबसे ऊंचा जलप्रपात इसी नदी में बनता है) तथारिहंद नदिया हैंं। सोन , जो अमरकंटक के पास मैकल पहाड़ो से निकलती हैं, दक्षिणी से गंगा की सबसे बड़ी सहायक नदी हैं जो कि हिमालय से ही नहीं निकलती हैं। सोन और उसकी सहायक नदियों, गंगा में मानसून का अथाह जल प्रवाहित करती हैंं।
छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद, महानदी बेसिन का बड़ा हिस्सा अब छत्तीसगढ़ में प्रवाहित होता हैं। वर्तमान में, अनूपपुर जिले में हसदेव के पास नदी का केवल 154 km2 बेसिन क्षेत्र ही मध्य प्रदेश में बहता हैं।वैनगंगा, वर्धा, पेंच, कान्हां नदियां, गोदावरी नदी प्रणाली में विशाल मात्रा में पानी का निर्वहन करती हैंं। यहाँ कई महत्वपूर्ण राज्य के विकास में सिंचाई परियोजनाएं कार्यत हैंं, जिसमे गोदावरी नदी घाटी सिंचाई परियोजना भी शामिल हैं।
नर्मदा नदी
सोन नदी, उमरिया जिले
भेड़ाघाट में संगमरमर की चट्टानों के माध्यम से बहती नर्मदा नदी
शिप्रा नदी पर श्रीराम घाट, उज्जैन
बेतवा नदी, अशोकनगर जिले में
परिक्षेत्र
मध्यप्रदेश को निम्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में बांटा गया है:
कैमूर पठार और सतपुड़ा पहाड़ी
विंध्य पठार (पहाड़ी)
नर्मदा घाटी
वैनगंगा घाटी
गिर्द (ग्वालियर) क्षेत्र
बुंदेलखंड क्षेत्र
सतपुड़ा पठार (पहाड़ी)
मालवा पठार
निमाड़ पठार
झाबुआ पहाड़ी
शहर
मुख्य लेख: मध्य प्रदेश के ज़िले
मध्य प्रदेश राज्य में कुल 52 जिले हैं।
दवाब
मध्य प्रदेश के सबसे बड़े शहर
2011 जनगणना के अनुसार[4]
श्रेणी शहर का नाम ज़िला जनसंख्या
इन्दौर
इन्दौर
भोपाल
भोपाल
1 इन्दौर इन्दौर 2,167,447 जबलपुर
जबलपुर
ग्वालियर
ग्वालियर
2 भोपाल भोपाल 1,883,381
3 जबलपुर जबलपुर 1,267,564
4 ग्वालियर ग्वालियर 1,101,981
5 उज्जैन उज्जैन 593,368
6 सागर सागर 370,296
7 देवास देवास 289,438
8 सतना सतना 283,004
9 रतलाम रतलाम 273,892
10 रीवा रीवा 235,422
जनसांख्यिकी
मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के भील जनजाति के प्यारे बच्चे
वर्ष 2011 की जनगणना के अन्तिम आकडोँ के अनुसार मध्य प्रदेश की कुल जनसँख्या 72,626,809 है[5] जिसमे 3,76,11,370(51.8%) पुरुष एँव 3,49,84,645(48.2%) महिलाएँ है मध्यप्रदेश का लिगाँनुपात 930 है। मध्य प्रदेश की जनसंख्या, में कई समुदाय, जातीय समूह और जनजातिया आते हैं जिनमे यहाँ के मूल निवासी आदिवासि और हाल ही में अन्य राज्यों से आये प्रवासी भी शामिल है। राज्य की आबादी में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति एक बड़े हिस्से का गठन करते हैं। मध्यप्रदेश के आदिवासी समूहों में मुख्य रूप से गोंड, भील, बैगा, कोरकू, भड़िया (या भरिया), हल्बा, कौल, मरिया, मालतो और सहरिया आते हैं। धार, झाबुआ, मंडला और डिंडौरी जिलों में 50 प्रतिशत से अधिक जनजातीय आबादी की है। खरगोन, छिंदवाड़ा, सिवनी, सीधी, सिंगरौली और शहडोल जिलों में 30-50 प्रतिशत आबादी जनजातियों की है। 2001 की जनगणना के अनुसार, मध्य प्रदेश में आदिवासियों की जनसंख्या 12233000 थी, जोकि कुल जनसंख्या का 20.27% हैं। यहाँ 46 मान्यता प्राप्त अनुसूचित जनजाति हैं और उनमें से तीन को “विशेष आदिम जनजातीय समूहों” का दर्जा प्राप्त हैं।[6]
विभिन्न भाषाई, सांस्कृतिक और भौगोलिक वातावरण और अन्य जटिलताओं के कारण मध्य प्रदेश के आदिवासी, बड़े पैमाने पर विकास की मुख्य धारा से कटा हुआ है। मध्य प्रदेश, मानव विकास सूचकांक के निम्न स्तर 0.375 (2011) पर हैं, जोकि राष्ट्रीय औसत से बहुत नीचे है।[7] इंडिया स्टेट हंगर इंडेक्स (2008) के अनुसार, मध्य प्रदेश में कुपोषण की स्थिति, ‘बेहद खतरनाक’ हैं और इसका स्थान इथोपिया और चाड के बीच है।[8] राज्य की कन्या भ्रूण हत्या की स्थिति में भी, भारत में सबसे खराब प्रदर्शन है।[9] राज्य का प्रति व्यक्ति सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीडीपी)(2010-11), देश के सबसे कम में चौथा स्थान पर है।[10] प्रदेश, भारत के राज्य हंगर इंडेक्स पर भी सबसे कम रैंकिंग वाले राज्य में से है।
मध्य प्रदेश कुपोषण के मामले में सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से एक है। हाल ही के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2015-16 के अनुसार, पन्ना जिले में 43.1 प्रतिशत बच्चे कुपोषित, 24.7 प्रतिशत क्षीण और 40.3 प्रतिशत कम वजन वाले बच्चों की श्रेणी में आते है।[11] इसी तरह का मामला ग्रामीण छतरपुर में भी हैं जहां 44.4 प्रतिशत बच्चे कुपोषित, 17.8 प्रतिशत क्षीण और 41.2 प्रतिशत कम वजन के हैं।
एक आदिवासी महिला बांधवगढ़ में नाश्ता तैयार करती हुई
चंबल में चरवाहे
उमरिया जिले में एक युवा किसान
युवा बैगा महिला
शिक्षा
भारतीय पर्यटन और यात्रा प्रबंधन संस्थान (IITTM), ग्वालियर
2011 की जनगणना के अनुसार, मध्य प्रदेश की साक्षरता दर 70.60% थी, जिसमे पुरुष साक्षरता 80.5% और महिला साक्षरता 60.0% थी। वर्ष 2017 के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 114,418 प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय, 3,851 उच्च विद्यालय और 4,765 उच्चतर माध्यमिक विद्यालय हैं।[12] राज्य में 400 इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर कॉलेजों, 250 प्रबंधन संस्थानों और 12 मेडिकल कॉलेज हैं।
राज्य में भारत के कई प्रमुख शैक्षिक और अनुसंधान संस्थान है जिनमे भारतीय प्रबंध संस्थान (IIM) इंदौर, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान(IIT) इंदौर, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) भोपाल, भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (IISER) भोपाल, भारतीय पर्यटन और यात्रा प्रबंधन संस्थान (IITTM) ग्वालियर, आईआईएफएम भोपाल, नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी भोपाल शामिल हैं राज्य में एक पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय (नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर) भी हैं जिसके तीन संस्थान जबलपुर, महू और रीवा में है। प्रदेश की पहली निजी विश्वविद्यालय “जेपी अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, गुना” एनएच 3 पर खूबसूरत कैंपस के साथ बना हुआ हैं। जोकि एनआईआरएफ (NIRF) के शीर्ष 100 में 86 वें स्थान पर है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), इंदौर
यहाँ 500 डिग्री कॉलेज हैं, जोकि राज्य के ही विश्वविद्यालयों से सम्बंधित हैं। जिनमें निम्न शामिल है;
जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय (जबलपुर)
मध्यप्रदेश पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय (भोपाल)
मध्यप्रदेश चिकित्सा विश्वविद्यालय (भोपाल)
मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय (भोपाल)
राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (भोपाल)
अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय (रीवा)
बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय (भोपाल)
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (इंदौर)
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय (जबलपुर)
विक्रम विश्वविद्यालय (उज्जैन)
जीवाजी विश्वविद्यालय (ग्वालियर)
डॉ॰ हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय (सागर विश्वविद्यालय)
इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय(अमरकंटक, अनूपपुर)
माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय (भोपाल)
वर्ष 1970 में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्री-मेडिकल टेस्ट बोर्ड के लिये व्यावसायिक परीक्षा मंडल गठन किया गया। कुछ वर्ष के बाद 1981 में, प्री-इंजीनियरिंग बोर्ड का गठन किया गया था। फिर उसके बाद, वर्ष 1982 में इन बोर्डों दोनों को समामेलित कर मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (M.P.P.E.B.) जिसे व्यापम के रूप में भी जाना जाता है का गठन किया गया।[13]
भाषा
राज्य की आधिकारिक भाषा हिंदी और सिंधी है। इसके अलावा कई इलाको में संस्कृत[14], उर्दू और मराठी भाषियों की अच्छी खासी आबादी हैं। क्युकी ये क्षेत्र कभी मराठा राज्य के अन्तर्गत आते थे, बल्कि प्रदेश में महाराष्ट्र के बाहर मराठी लोगों की सबसे ज्यादा आबादी हैं। यहाँ कई क्षेत्रीय बोलिया भी बोली जाती हैं, जोकि कुछ लोगों के अनुसार हिन्दी ही से निकल कर बनी हुई हैं जबकि कुछ के अनुसार ये अलग या अन्य भाषा से संबंधित हैं। इन बोलियों के अलावा मालवा में मालवी, निमाड़ में निमाड़ी, बुंदेलखंड में बुंदेली, और बघेलखंड और दक्षिण पूर्व में बघेली (रीवा)बोली जाती हैं। इन में से हर एक बोली एक दूसरे से बहुत अलग है। यहाँ की अन्य भाषाओं में तेलुगू, भिलोड़ी (भीली), गोंडी, कोरकू, कळतो (नहली), और निहाली (नाहली) आदि शामिल हैं, जोकि आदिवासी समूहों द्वारा बोली जाती हैं।
धर्म
2011 की जनगणना के अनुसार, प्रदेश में 90.9% लोग हिंदू धर्म को मानते हैं, जबकि अन्य में मुस्लिम (6.6%), जैन(1%), }}ईसाई (0.3%), बौद्ध (0.3%), और सिख (0.2%) आदि आते है। प्रदेश के कई शहर अपनी धार्मिक आस्था के केंद्र के लिए जाने जाते रहे हैं। जिनमे से सबसे प्रमुख उज्जैन शहर हैं, जोकि भारत के सबसे प्राचीन शहरो में से एक हैं। यहाँ 12 ज्योतिर्लिंग में से एक महाकालेश्वर मंदिर दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। शहर में बहने वाली शिप्रा नदी के किनारे प्रसिध्द कुम्भ मेला लगता है। इसके अलावा नर्मदा नदी के तट पर बसा ओम्कारेश्वर भी 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं। हिन्दू धर्म के अलावा अन्य धर्मो के कई धार्मिक केंद्र प्रदेश में उपस्थित हैं। भोपाल का ताज-उल-मस्जिद भारत की सबसे विशाल मस्जिदों में एक है। बडवानी का बावनगजा,दमोह का कुण्डलपुर,दतिया का सोनागिरी,अशोकनगर का निसईजी मल्हारगढ़,बैतूल की मुक्तागिरी जैन धर्मालंबियोंं हेतु प्रसिद्ध है। विदिशा नगरी दशवें तीर्थेंकर भगवान शीतलनाथ की गर्भ जन्म व तप कल्याणक की भूमि है। बुंदेलखंड में दिगंबर जैन एवं मालवा में श्वेतांबर जैन बहूलता से पाये जाते हैं। बुंदेलखंड में दिगंबर जैन समुदाय का एक पंथ और स्थापित हुआ जो तारण पंथ कहलाता है। वही साँची में स्थित साँची का स्तूप, बौध्द के लिए केंद्र हैं। मैहर जो कि सतना जिले के अंतर्गत आता है माँ शारदा जो बुद्धि एवं विद्या की दायिनी है त्रिकूट पर्वत पर माँ का भव्य मंदिर है जो भारत के 52 शक्तिपीठ में से एक है। दतिया में स्थित माँ पीतांबरा का मंदिर विश्व में अपनी अलग पहचान रखता है ऐसी मंदिर में माँ धूमावती की भी स्थापना है। होशंगावाद का सेठानी घाट, देवास जिले नेमावर में सिद्धनाथ महादेव, हरदा जिले के हंडिया में कुबेर के द्वारा पूजित रिद्धनाथ महादेव आदि नर्मदा के तट पर विशेष स्थान है इसके साथ ही माँ नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक बहुत ही प्रसिद्द स्थान है। रीवा जिले के देउर कोठार में लगभग 2 हजार वर्ष पुराने बौद्ध स्तूप और लगभग 5 हजार वर्ष प्राचीन शैलचित्रों की श्रृंखला मौजूद है। यह वर्ष 1982 में प्रकाश में आए थे। ये स्तूप सम्राट अशोक के शासनकाल में ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी के निर्मित हैं। देउर कोठार नामक स्थान, रीवा-इलाहाबाद मार्ग एचएन-27 पर सोहागी पहाड़ से पहले कटरा कस्बे के समीप स्थित है। यहां मौर्य कालीन मिट्टी ईट के बने 3 बड़े स्तूप और लगभग 46 पत्थरों के छोटे स्तूप बने है। अशोक युग के दौरान विंध्य क्षेत्र में बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार हुआ और भगवान बौद्ध के अवशेषों को वितरित कर स्तूपों का निर्माण किया गया। उर कोठार के बौद्ध स्तूपों का समूह सबसे बड़ा बौद्ध स्तूप समूह है जिसमें पहला बौद्ध स्तूप ईंटों द्वारा बनाया गया था। एक मौर्यकालीन स्तम्भ भी है जिसमें एक शिलालेख भी है जिसकी शुरुआत भगवतोष् से होती है। यहां पर खुदाई के दौरान मौर्य कालीन ब्राही लेख के अभिलेख, शिलापट्ट स्तंभ और पात्रखंड भी प्राप्त हुए हैं।
संस्कृति
मध्य प्रदेश के 3 स्थलों को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है, जिनमे खजुराहो (1986), सांची बौद्ध स्मारक (1989), और भीमबेटका की रॉक शेल्टर (2003) शामिल हैं। हाल ही में ओरछा को यूनेस्को द्वारा उसकी अस्थायी सूची में सम्मलित किया गया है।[15] अन्य वास्तुशिल्पीय दृष्टि से या प्राकृतिक स्थलों में अजयगढ़, अमरकंटक, असीरगढ़, बांधवगढ़, बावनगजा, भोपाल, विदिशा, चंदेरी, चित्रकूट, धार, ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर, बुरहानपुर, महेश्वर, मंडलेश्वर, मांडू, ओंकारेश्वर, ओरछा, पचमढ़ी, शिवपुरी, सोनागिरि, मंडला और उज्जैन शामिल हैं।
मध्य प्रदेश में अपनी शास्त्रीय और लोक संगीत के लिए विख्यात है। विख्यात हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत घरानों में मध्य प्रदेश के मैहर घराने, ग्वालियर घराने और सेनिया घराने शामिल हैं। मध्यकालीन भारत के सबसे विख्यात दो गायक, तानसेन और बैजू बावरा, वर्तमान मध्य प्रदेश के ग्वालियर के पास पैदा हुए थे। प्रशिद्ध ध्रुपद कलाकार अमीनुद्दीन डागर (इंदौर), गुंदेचा ब्रदर्स (उज्जैन) और उदय भवालकर (उज्जैन) भी वर्तमान के मध्य प्रदेश में पैदा हुए थे। माँ विन्ध्यवासिनी मंदिर अति प्राचीन मंदिर है। यह अशोक नगर जिले से दक्षिण दिशा की ओर तुमैन (तुम्वन) मे स्थित हैं। यहाॅ खुदाई में प्राचीन मूर्तियाँ निकलती रहती है यह राजा मोरध्वज की नगरी के नाम से जानी जाती है यहाॅ कई प्राचीन दाश॔निक स्थलो में वलराम मंदिर,हजारमुखी महादेव मंदिर,ञिवेणी संगम,वोद्ध प्रतिमाएँ, लाखावंजारा वाखर गुफाएँ आदि कई स्थल है[16] पार्श्व गायक किशोर कुमार (खंडवा) और लता मंगेशकर (इंदौर) का जन्मस्थान भी मध्य प्रदेश में स्थित हैं। स्थानीय लोक गायन की शैलियों में फाग, भर्तहरि, संजा गीत, भोपा, कालबेलिया, भट्ट/भांड/चरन, वसदेवा, विदेसिया, कलगी तुर्रा, निर्गुनिया, आल्हा, पंडवानी गायन और गरबा गरबि गोवालं शामिल हैं।
प्रदेश के प्रमुख लोक नृत्य में बधाई, राई, सायरा, जावरा, शेर, अखाड़ा, शैतान, बरेदी, कर्म, काठी, आग, सैला, मौनी, धीमराई, कनारा, भगोरिया, दशेरा, ददरिया, दुलदुल घोड़ी, लहगी घोड़ी, फेफरिया मांडल्या, डंडा, एडीए-खड़ा, दादेल, मटकी, बिरहा, अहिराई, परधौनी, विल्मा, दादर और कलस शामिल हैं।
अर्थव्यवस्था
मध्य प्रदेश के सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) वर्ष 2014-15 के लिए 84.27 बिलियन डॉलर था।[17] प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2013-14 में $871,45 था, और देश के अंतिम से छठे स्थान पर हैं।[18] 1999 और 2008 के बीच राज्य की सालाना वृद्धि दर बहुत कम (3.5%) थी।[19] इसके बाद राज्य के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर में काफी सुधार हुआ है, और 2010-11 और 2011-12 के दौरान 8% एवं 12% क्रमशः बढ़ गया।[20]
राज्य में कृषिप्रधान अर्थव्यवस्था है। मध्य प्रदेश की प्रमुख फसलों में गेहूं, सोयाबीन, चना, गन्ना, चावल, मक्का, कपास, राइ, सरसों और अरहर शामिल हैं। प्रदेश में इंदौर, सोयबीन की मंडी के लिए और सीहोर गेहूं की मंडी के लिए देश भर का केंद्र हैं। लघु वनोपज (एमएफपी) जैसे की तेंदू, जिसके पत्ते का बीड़ी बनाने में इस्तेमाल किया जाता हैं, साल बीज, सागौन बीज, और लाख आदि भी राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए योगदान देते हैं।
मध्य प्रदेश में 5 विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) है: जिनमे 3 आईटी/आईटीईएस (इंदौर, ग्वालियर), 1 खनिज आधारित (जबलपुर) और 1 कृषि आधारित (जबलपुर) शामिल हैं। अक्टूबर 2011 में, 14 सेज प्रस्तावित किया गए, जिनमे से 10 आईटी/ आईटीईएस आधारित थे। इंदौर, राज्य का प्रमुख वाणिज्यिक केंद्र है। इसके राज्य के केंद्र में स्थित होने के कारण, यहाँ कई उपभोक्ता वस्तु कंपनियों ने अपनी विनिर्माण केंद्रों की स्थापना की है।.[21]
राज्य में भारत का हीरे और तांबे का सबसे बड़ा भंडार है। अन्य प्रमुख खनिज भंडार में कोयला, कालबेड मीथेन, मैंगनीज और डोलोमाइट शामिल हैं।
मध्य प्रदेश में 6 आयुध कारखाने, जिनमें से 4 जबलपुर (वाहन निर्माणी, ग्रे आयरन फाउंड्री, गन कैरिज फैक्टरी, आयुध निर्माणी खमरिया) में स्थित है, बाकि एक-एक कटनी और इटारसी में हैं। ये कारखाने आयुध कारखाना बोर्ड द्वारा चलाए जाते हैं जिनमे भारतीय सशस्त्र बलों के लिए उत्पादों का निर्माण किया जाता हैं।
मध्य प्रदेश, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 में उत्कृष्ट कार्य के लिए 10वे राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीत चुका हैं। राज्य में पर्यटन उद्योग भी जोर-शोर से बढ़ रहा है, वन्यजीव पर्यटन और कई संख्या में ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के स्थानों की उपस्थिति इनका मुख्य कारण हैं। सांची और खजुराहो में विदेशी पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है। प्रमुख शहरों के अलावा अन्य लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में भेड़ाघाट, भीमबेटका, भोजपुर, महेश्वर, मांडू, ओरछा, पचमढ़ी, कान्हा और उज्जैन शामिल हैं।
अवसंरचना
ऊर्जा
राज्य की कुल स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता 13880 मेगावॉट (31 मार्च 2015) है। सभी राज्यों की तुलना में मध्य प्रदेश बिजली उत्पादन में सबसे ज्यादा वार्षिक वृद्धि (46.18%) दर्ज की हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा भारत के सबसे बड़े सौर ऊर्जा संयंत्र योजना बनाई गई हैं। संयंत्र की बिजली उत्पादन की क्षमता 750 मेगावाट होगी, तथा इसे लगाने हेतु 4,000 करोड़ रुपये की लागत आएगी। [22] मध्य प्रदेश के रीवा जिले के गूढ तहसील में 1,590 हेक्टेयर के क्षेत्र में एक रीवा अल्ट्रा मेगा सौर पार्क प्रस्तावित है।
परिवहन
मध्य प्रदेश में बस और ट्रेन सेवाएं चारो तरफ फैली हुई हैं। प्रदेश की 99,043 किमी लंबी सड़क नेटवर्क में 20 राष्ट्रीय राजमार्ग भी शामिल है। प्रदेश में 4948 किलोमीटर लंबी रेल नेटवर्क का जाल फैला हुआ हैं, जबलपुर को भारतीय रेलवे के पश्चिम मध्य रेलवे का मुख्यालय बनाया गया है। मध्य रेलवे और पश्चिम रेलवे भी राज्य के कुछ हिस्सों को कवर करते हैं। पश्चिमी मध्य प्रदेश के अधिकांश क्षेत्र पश्चिम रेलवे के रतलाम रेल मंडल के अंर्तगत आते है, जिनमे इंदौर, उज्जैन, मंदसौर, खंडवा, नीमच, सीहोर और बैरागढ़ भोपाल आदि शहर शामिल हैं। राज्य में 20 प्रमुख रेलवे जंक्शन है। प्रमुख अंतर-राज्यीय बस टर्मिनल भोपाल, इंदौर, ग्वालियर जबलपुर और रीवा में स्थित हैं। प्रतिदिन 2000 से भी अधिक बसों का संचालन इन पांच शहरो से होता हैं। शहर के अंदर की आवागमन हेतु, ज्यादातर बसों, निजी ऑटो रिक्शा और टैक्सियों का उपयोग होता है। देश के बीचो-बीच होने के कारण राज्य के पास कोई समुद्र तट नहीं है। अधिकांश समुद्री व्यापार, पड़ोसी राज्यों में कांडला और जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह (न्हावा शेवा) के माध्यम से होता है जोकि सड़क और रेल नेटवर्क के माध्यम से प्रदेश से अच्छी तरह से जुड़े हुए हैं।
संचार माध्यम
सरकार और राजनीति
इन्हें भी देखें: मध्य प्रदेश के मुख्यमन्त्रियों की सूची एवं मध्य प्रदेश के राज्यपालों की सूची
मध्य प्रदेश में विधान सभा की 230 सीट है। राज्य से भारत की संसद को 40 सदस्य भेजे जाते है: जिनमे 29 लोकसभा (निचले सदन) और 11 राज्यसभा के लिए (उच्च सदन) के लिए चुने जाते हैं। राज्य के संवैधानिक प्रमुख राज्यपाल होता हैं, जोकि भारत के राष्ट्रपति द्वारा केंद्र सरकार की अनुशंसा पर नियुक्त किया जाता है। राज्य का कार्यकारी प्रमुख मुख्यमंत्री होता हैं, जोकि विधानसभा के निर्वाचित सदस्यो में बहुमत के आधार पर चुना नेता होता हैं। वर्तमान में, राज्य के राज्यपाल लालजी टंडन तथा मुख्यमंत्री, कांग्रेस के कमलनाथ सिंह है। राज्य की प्रमुख राजनीतिक दलों में भाजपा और कांग्रेस हैं। कई पड़ोसी राज्यों के विपरीत, यहाँ छोटे या क्षेत्रीय दलों को विधानसभा चुनावों में ज्यादा सफलता नहीं मिली है। दिसम्बर 2018 में राज्य के चुनावों में कांग्रेस ने 114 सीटों में जीत हासिल कर अन्य पार्टीयो की सहायता से 121 सीटों का पूर्ण बहुमत साबित किया, बीजेपी 109 सीटों पर जीत हासिल कर विपक्ष पर जा बैठी। 2 सीटों के साथ बहुजन समाज पार्टी, राज्य में तीसरे स्थान पर हैं समाजवादी पार्टी ने 1 सीट पर जीत हासिल की वही 4 सीटें निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीतीं।
पुलिस प्रशासन
वर्ष 1976 में SBIEO विशेष जांच सेल अपराध जांच विभाग (सीआईडी) के अंतर्गत एक शाखा के रूप में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा राज्य अपराध अन्वेषण ब्यूरो गठित किया गया था। वर्ष 1989 में इसका नाम बदल कर राज्य आर्थिक अपराध ब्यूरो रखा गया था, जो गृह विभाग के नियंत्रण में कार्य करता था किन्तु 1990 में राज्य आर्थिक अपराध ब्यूरो को सामान्य प्रशासन विभाग के अंतर्गत लाया गया। 22 जून 2013 को राज्य आर्थिक अपराध ब्यूरो नाम बदल कर आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ रखा गया।
खेल
वर्ष 2013 में राज्य सरकार ने मलखम्ब को राज्य के खेल के रूप में घोषित किया गया। क्रिकेट, हॉकी, फुटबॉल, बास्केटबॉल, वॉलीबॉल, साइकिल चलाना, तैराकी, बैडमिंटन और टेबल टेनिस राज्य में लोकप्रिय खेल हैं। खो-खो, गिल्ली-डंडा, सितोलिया(पिट्ठू), कंचे और लंगड़ी जैसे पारंपरिक खेल ग्रामीण क्षेत्रों में काफी लोकप्रिय हैं। स्नूकर, जिसका आविष्कार ब्रिटिश सेना के अधिकारियों द्वारा जबलपुर में किया हुआ माना जाता है, कई अंग्रेजी बोलने वाले और राष्ट्रमंडल देशों में लोकप्रिय है।
क्रिकेट मध्य प्रदेश में सबसे लोकप्रिय खेल है। यहाँ राज्य में तीन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम नेहरू स्टेडियम (इंदौर), रूपसिंह स्टेडियम (ग्वालियर) और होल्कर क्रिकेट स्टेडियम (इंदौर) हैं। मध्य प्रदेश क्रिकेट टीम का रणजी ट्राफी में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 1998-99 में किया गया था, जब चंद्रकांत पंडित के नेतृत्व वाली टीम उपविजेता के रूप में रही। इसके पूर्ववर्ती, इंदौर के होल्कर क्रिकेट टीम, रणजी ट्राफी में चार बार जीत हासिल कर चुकी हैं।
भोपाल का ऐशबाग स्टेडियम विश्व हॉकी सीरीज की टीम भोपाल बादशाह का घरेलू मैदान है। राज्य में एक फुटबॉल भी टीम है जोकि संतोष ट्राफी में भाग लेता रहता है।