प्रश्न चिन्ह
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बीता वर्ष यातना शिविरों में रह कर भी,
सिंहों जैसा गर्जन देकर चला गया।
हैं फूल हाथ में जिनके,कल पत्थर होंगे
उसका हर पल यह वर्जन देकर चला गया।।
चिल्लाता रहा अंधेरी ,बहरी रातों में
ऐसा कोई दीपक दे दो ,जो बोल सके।
ऐसा कोई साथी दिखला दो नगरी में
जो कभी कभी अपना अन्तर्मन खोल सके।।
नववर्ष नवेली दुल्हन सा है द्वारे पर
आओ इसके स्वागत में दीप जलायें हम।
दर्पन में अपना अवलोकन पहले कर लें
फिर दुल्हन के मुखड़े पर दृष्टि लगायें हम।।
आने वाला हर पल खुशियां लेकर आए
हर स्वर,सरगम फिर मुक्त प्यार की पा जाए
हम प्रश्न चिन्ह अपने कर्मों पर लगा सकें
तो राम राज्य साकार यहीं पर आ जाए।।
अशोक तिवारी
अहमदाबाद
(M) 9825305997