ये कौन दस्तक दे रहा है?
उस बंद दरवाजे पर
जहां कैद कर रखी हैं मैंने
कई अनसुलझी गुत्थियाँ
जहां कैद है घनघोर अंधेरा
और चीखता हुआ सन्नाटा
ये कौन दस्तक दे रहा है?
उस दरवाजे पर
जहां कैद हैं मेरे आंसुओं से
भीगते मेरे गम
और दम तोड़ चुके अरमानों
की लाशें
जहां कैद हैं भुलाई जा चुकी
यादों के नगमे
और दर्द से तड़पती हुई मुस्कुराहट
ये कौन दस्तक दे रहा है?
ये कौन है?
कुमार सौरभ