यह प्रश्न जितना मुझे प्रभावित कर रहा है शायद उससे कुछ अधिक ही उत्तर प्रदेश के जन-मानस को भी कर रहा होगा, इसका मुझे विश्वास है।
उत्तर प्रदेश में बसपा और सपा सरकारों को भ्रष्ट कह कर मैंने भी बहुत कहा, सुना और लिखा भी। 2014 में जिस प्रकार केंद्र में सत्ता परिवर्तन का हामी रहा उसी प्रकार का परिवर्तन मैं उत्तर प्रदेश में भी 2017 में देखना चाहता था। और वह परिवर्तन आया भी।
उत्तर प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुए लगभग दो वर्ष होने को आए हैं। दो वर्ष का समय : यानि की सरकार का लगभग आधा कार्यकाल।
मैं समझता हूँ किसी भी सत्ता के मूल्यांकन और उसकी दिशा को समझने के लिए, सरकार के दो वर्ष के कार्यकाल को उपयुक्त मानना चाहिए।
आज, महंत श्री योगी आदित्यनाथ जी की विगत दो वर्षों की सरकार के निष्पक्ष असेस्मेंट का मन हुआ।
यह असेस्मेंट मेरा व्यक्तिगत न रहे बल्कि इसमें उत्तर प्रदेश के सभी स्टेक-होल्डर शामिल हों तभी यह असेस्मेंट मौलिक, सृजनात्मक, प्रजातांत्रिक और रचनाशील बन कर सरकार केलिए दिशा-बिन्दु निर्धारित करने में कामयाब हो सकेगा, अतः इन बिन्दुओं पर आपकी मुक्त प्रतिक्रिया आवश्यक बन पड़ेगी। ऐसा इस लिए कह रहा हूँ कि महंत श्री योगी आदित्यनाथ जी की सरकार मात्र भाजपा की ही सरकार नहीं है अपितु उत्तर प्रदेश की बहुसंख्यक जन-भावना की सरकार है यह।
आप तो जानते ही हैं कि राज्य में सपा सरकार को उखाड़ फेंकने में मोदी जी की केन्द्रीय सरकार की कई लोक-कल्याणकारी योजनाओं और उनके बेहतरीन क्रियान्वयन ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। चाहे वह प्रधानमंत्री आवास योजना रही हो, शौचालय निर्माण योजना रही हो या फिर गैस-सिलिन्डर के वितरण की योजना रही हो।
उत्तर प्रदेश की जनता ने प्रधान मंत्री के कार्य उनकी निष्ठा, उनके निष्काम समर्पण को देखते हुए उत्तर प्रदेश सत्ता की बागडोर श्री नरेंद्र मोदी के हाथों में बेहिचक सौंप दी। परिणाम यह रहा कि उत्तर प्रदेश में नरेंद्र मोदी जी यदि कंकड़-पत्थर को भी विधान सभा का उम्मीदवार बनाया तो जनता ने उसे पत्थर न समझते हुए उसे देव-प्रतिमा के रूप में अपनी आस्था समर्पित कर दी।
आज, हमें यह प्रश्न पूछना है कि उत्तर प्रदेश की जनता ने जो ऐतिहासिक फैसला 2017 के विधान सभा चुनावों में लिया था उसका प्रतिफल उसे क्या मिला?
यहाँ मैं आपको एक व्यक्तिगत दृष्टांत बतलाता हूँ। उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनावों की भाजपा की ऐतिहासिक जीत के बाद मुझे प्रतापगढ़ के ज़िला भाजपा अध्यक्ष श्री ओमप्रकाश त्रिपाठी जी से बात करने और मिलने का सौभाग्य मिला था, मुलाक़ात का आग्रह मेरा था। उन्होंने मुझे अपने आवास पर बुलाया था। मैं प्रतापगढ़ का मूल निवासी तो हूँ पर मेरी कर्म-स्थली विगत 50 वर्षों से दिल्ली रही है।
उनसे कई बार पता पूछ कर उनके आवास तक पहुंचा। उनसे बहुत संक्षिप्त बात उनके निवास पर हुई। मैंने औपचारिकतावश उन्हें भाजपा के विजय पर बधाई दी।
मेरी इस बधाई के बाद उनके मुँह पर नियंत्रण न रहा।
उन्हों ने एकाकी प्रलाप प्रारम्भ कर दिया। “अरे ओझा जी आप को हमारा प्रचार देखने आना चाहिए थे। हमने रात-दिन एक कर दिया था। हमने बहुत मेहनत की।” उनको सुनने के बाद ऐसा लग रहा था कि लोगों ने मोदी जी के काम की बजाय ओमप्रकाश त्रिपाठी भाजपा ज़िला अध्यक्ष प्रतापगढ़ को ही वोट दिया था। और उत्तर प्रदेश में भाजपा की जीत उनके व्यक्तिगत प्रयास का प्रतिफल थी। मैं चुपचाप उन्हें और उनके दंभ को सुनता रहा। उनका संवाद अनवरत जारी था, पानी आगया था। मैंने उनके याहन पानी पीना भी उचित नहीं समझा, अचानक उठा, वे रोकते रह गए किन्तु मैंने तुरंत गाड़ी स्टार्ट की और उन्हें हतप्रभ छोड़ कर चला आया। तब से उनसे कोई संवाद नहीं किया।
ऐसा दंभ???
यह लोग जनता केलिए क्या करेंगे?
महंत श्री योगी आदित्यनाथ जी केलिए मेरे मन में अपार श्रद्धा है। मैंने जब “सनातन समाज की नयी संहिता” लिखी थी तो उसका लोकार्पण योगी जी से ही करवाना चाहता था, तब वे सांसद थे। उनके कार्यालय में रावत जी से कई बार फोन पर बात हुई किन्तु योगी जी की अति-व्यस्तता के चलते मेरा उत्साह कुछ कम पड़ गया। अंततः उस पुस्तक को स्वामी साक्षी जी महराज ने पूरा पढ़ा और कई महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर मुझे निदेश भी दिया।
महंत श्री योगी आदित्यनाथ जी के दो वर्षों के कार्यकाल में यदि हम प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की केंद्रीय योजनाओं के प्रभाव और क्रियान्वयन को छोड़ दें तो उनकी क्या उपलब्धि रही है?
कानून व्यवस्था :
दर असल कई बार हम कानून व्यवस्था को पुलिस व्यवस्था से जोड़ कर देखने की भूल कर बैठते हैं जब कि इसमें अंतर है। कानून का भय उत्तर प्रदेश की जनता में कभी नहीं रहा। ऐसा आरोप है कि न्याय-व्यवस्था कचहरी, स्टांप पेपर में धांधली, किसानों और ज़मीन ख़रीदारों से रजिस्ट्री शुल्क में दस प्रतिशत तक की अधिक वसूली आज भी जारी है। यह राशि वकील असोसियेशन के पदाधिकारियों और एसडीएम कार्यालय के अधिकारियों और मातहतों के बीच निर्बाध रूप से बंटतीी है। इस पर कब्जे को लेकर कई बार एक वकील दूसरे वकील की जान लेने को भी आमादा हो जाते हैं।
कचहरी-न्यायालय में न्यायाधीशों की नाक के नीचे पूर्ववत खेल जारी है।
बिजली :
इस संबंध में यह उद्घोषणा कि ग्रामीण स्तर पर प्रत्येक ज़िले में 20 घंटे बिजली अवश्य आपोरित की जाएगी, महज भ्रामक प्रचार ही लगता है। प्रतापगढ़ के ग्रामीण अंचल में प्रातः सात बजे से प्रातः दस बजे तक तथा साँय चार बजे से साँय सात बजे तक छः घंटे की सरकार की घोषित कटौती है। किन्तु वास्तविकता इस से भिन्न है। कितनी भिन्न है यह आप लोग बताएं।
सड़क/परिवहन :
गांवों के मध्य धमनियों की तरह लगभग तीन मीटर चौड़ी सड़कों का निर्माण कार्य सपा-बसपा कार्यकाल में हुआ था। बरसात में उधड़ गई उन सड़कों पर पैबंद इस सरकार द्वारा लगवाया गया है या लगवाया जा रहा है।
आप किसके योगदान को प्रमुख मानेंगे, जिसने मूल रूप से तीन मीटर सड़क का निर्माण करवाया (भले ही भ्रष्टाचार में कमीशन लिया गया हो) उसका या फिर उसका जो उन सड़कों की गुणवत्ता नहीं सुधार रहा है, उन्हें अधिक चौड़ा नहीं कर रहा है, मात्र उसे रफू कर रहा है। ये सड़कें केवल साइकिल और मोटर-साइकिल का वज़न उठाने भर को सक्षम होती हैं किन्तु इन सड़कों पर ईंट भरी ट्रॉली, स्कूल बसें भी चलने लगी हैं। किन्तु ये सड़कें इतना वज़न उठा पाने में सक्षम नहीं हैं। दूर-दराज़ गांवों में सड़कें इस स्थिति में नहीं हैं कि वहाँ किसान भवन-निर्माण सामाग्री केलिए सीमेंट/बालू/गिट्टी के भरे ट्रक मँगवा सकें। ग्रामवासी बच्चों को कंप्यूटर पढ़ाना चाहते हैं, आप बिजली नहीं देते। ग्रामवासी बच्चों को अच्छे विद्यालय में भेजना चाहते हैं आप बच्चों को बरसात में घर से निकलने केलिए अच्छी और चौड़ी सड़क नहीं दे रहे।
शिक्षा :
इस पर जितना न लिखा जाय उतना बेहतर है। सरकारी प्राथमिक विद्यालय बिना किसी आधारभूत सुविधा (पानी, बिजली, खेल मैदान, पुस्तकालय इत्यादि) के दो-चार कमरों में सिमटे हुए हैं। अध्यापक उनमें पढ़ाने भी नहीं आते। मुसहर और निर्धन/विपन्न परिवार के बच्चे इन विद्यालयों में अपनी ज़िंदगी बर्बाद कर रहे हैं, यह अभी भी जारी है।
बिना पढ़े स्नातक, स्नातकोत्तर डिग्रियाँ कुछ हज़ार रुपयों में सहजता से अब भी उपलब्ध हैं। यही हाल आईआईटी सम्य और बीएड जैसी डिग्रियों का भी है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना वहाँ क्या कामयाब होगी जहां प्राइवेट आईआईटी संस्थान तीस-चालीस हज़ार में मन माफ़िक डिग्री थमा देंगे।
पुलिस व्यवस्था :
गौकशी और कुख्यात अपराधियों की धर-पकड़ से आप प्रभावित हो सकटे हैं किन्तु राजधानी लखनऊ में इंजीनियर की हत्या, कुलदीप सेंगर और चिन्मयानंद प्रकरण और उनसे उगाही का प्रयास जैसे मुँह बिचकाते माले उभर ही आते हैं।
रोज़गार वृद्धि :
क्या लिखूँ????
उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय महंत श्री योगी आदित्यनाथ जी ने ईवेंट मैनेजमेंट के तहत कुम्भ (प्रयागराज), दीपदान (अयोध्या) को विकास के नए सोपान तक पहुंचाया है किन्तु पूरा प्रदेश उनसे सड़क, बिजली और आवास (आवास और शौचालय निर्माण में भयानक कट मनी का भ्रष्टाचार है) पर भी उम्मीद लगाए बैठा है।
विचारणीय बिन्दु तो बहुत हैं……कुछ आप भी….
आप सब के विचारों का भी स्वागत रहेगा……
सुधेन्दु ओझा