सवा साल से अपने बेटे से मिलने का तरस रही एक मां को अदालत ने दिवाली का तोहफा दिया है। अदालत ने इस मां को अपने सात साल के बेटे से ना केवल मिलने की इजाजत दी है, बल्कि दिवाली पर दो दिन बच्चे को मां के साथ रहने की इजाजत भी दी है। अदालत ने कहा है कि बच्चे मां से सवा साल से दूर हैं। बच्चों की आयु बेहद कम है। ऐसे में उन्हें सही-गलत का अनुमान नहीं है। लेकिन एक मां का दिल बच्चों में होता है। ऐसे में बहरहाल बेटे को मां के साथ दिवाली मनाने का मौका दिया जा रहा है। जबकि चार साल की बेटी दिवाली पर पिता के साथ रहेगी।
कड़कड़डूमा स्थित दीपाक्षी राणा की अदालत ने इस मामले में महिला के वकील गौरव मिश्रा की दलील सुनने के बाद सात साल के बेटे को 13 नवंबर से 15 नवंबर तक मां के साथ उसके घर में रहने की इजाजत दी है। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि 13 नवंबर की सुबह 11 बजे पिता कड़कड़डूमा मेट्रो स्टेशन पर बेटे की कस्टडी उसकी मां को सौंपेगा। इसी तरह 15 नवंबर की शाम 6 बजे मां मेट्रो स्टेशन पर वापस बेटे की कस्टडी अपने पति को सौंपेगी। अदालत ने इस पूरे मामले को सुनने के बाद कहा कि बड़ी ही पेचीदा स्थिति है। दो बच्चे हैं, जोकि पिता के पास हैं। मां की ममता के आगे किसी भी रिश्ते का वजूद वजनदार नहीं हो सकता। लेकिन अभी यह समझना जल्दबाजी होगी कि बच्चों के पिता के साथ होने की वजह क्या है। बहरहाल मां को एक बच्चे के साथ दिवाली पूजन का मौका दिया जा रहा है।
अदालत ने आधा घंटा बच्चों के व्यवहार का किया निरीक्षण
इस मामले में किसी भी नतीजे पर पहुंचने से पहले अदालत ने बच्चों को विशेष रुम में बुलाया। यहां आधा घंटा उन्हें मां के साथ अकेले रहने का मौका दिया। वहीं न्यायिक अधिकारी सीसीटीवी कैमरे से बच्चों के व्यवहार पर नजर रखती रहीं। उन्होंने देखा कि बेटा मां से अच्छे से मिल रहा था, जबकि चार साल की बेटी कटी-कटी थी। इसी आधार पर अदालत ने मां व पिता दोनों की दिवाली पर खुशी को देखते हुए बेटे को जहां मां के साथ रहने की इजाजत दी, वहीं बेटी को पिता के साथ रहने पर सहमति जताई। जबकि मां को कस्टडी याचिका पर निर्णय होने तक महीने में दो रविवार कालकाजी मंदिर पर शाम तीन बजे से रात सात बजे दोनों बच्चों से मां को मिलाने के आदेश भी दिए गए हैं।
सरकारी स्कूल में शिक्षिका है महिला, सवा साल से है अलग
सरकारी स्कूल में शिक्षिका महिला अगस्त 2019 से अलग रह रही है। महिला ने अदालत में घरेलू हिंसा का मुकदमा किया हुआ है। महिला का आरोप है कि पति जोकि कारोबारी है ने अगस्त में उसके मारपीट की और उसे घर से निकाल दिया। बच्चे भी उससे छिन लिए। सवा सल से लगातार वह बच्चों से मिलने की कोशिश कर रही है। लेकिन पति मिलने नहीं देता। जबकि बच्चों की कस्टडी याचिका पर सुनवाई पहले दिल्ली में दंगे व बाद में कोरोना के कारण लॉकडाउन की वजह से लगातार टल रही है।